लेखनी कहानी -14-Nov-2022# यादों के झरोखों से # मेरी यादों की सखी डायरी के साथ
प्रिय सखी।
कैसी हो । Mousam ki pahali barish ka hall suno tum meri jubani.
मै आज बहुत खुश हूं।आज सुबह से ही मौसम खुशनुमा हो रहा है।सुबह उठते ही ठंडी हवा ने माथे को छूआ तो मन प्रसन्न हो गया।इतने दिनों से जलती, झुलसाती गर्मी से बेहाल हो गये थे।जब उठी थी तो ठंडी हवा चल रही थी लेकिन बाद मे आसमान मे काले काले बादल आ गये।और देखते ही देखते दिन से रात जैसा आसमान है गया बिल्कुल काला और फिर जो धुआंधार बारिश शुरु हुई है कि थमने का नाम ही नही लिया।सच मे सखी मुझे जहां तक लगता है बारिश का मोसम सब के लिए पसंदीदा होता है ।पर तुम यकीन नही मानों गी जब ऐसा मौसम ज्यादा देर तक या बहुत तेज तूफान मे तब्दील है जाए तो हमे या तो डर लगना शुरू हो जाता है या बहुत ज्यादा डिप्रेस्ड हो जाती हूं।आज ऐसे ही सुबह उठी थी तो मन सही था लेकिन जब मौसम भयंकर रूप से खराब हो गया तो मुझे घबराहट होने लगी। क्यों कि आज बेटे का बारहवीं का पेपर था सीबीएससी का। मन में यही डर कही बाईक सड़कों पर जमा पानी मे अगर कोई गड्ढा हुआ तो उसमे ना चली जाए।उपर से तेज बारिश हो रही थी हाय बच्चे को कैसे भेजूं।पर भगवान ने सुन ली बारिश थम गयी और मैने बरसाती पहना कर उसे भेज दिया पेपर देने के लिए।छोटे महाशय की तो क्लास ही आनलाइन चली गयी थी।सच मे आजकल के समय मे बच्चे नही उनके मां बाप पढ़ते हैं।आज पतिदेव का जन्मदिन है ।सासू मां का फोन आया था ।अपने बेटे को बधाई दे रही थी।वो कभी भी मेरे जन्मदिन पर विश नही करती।फिर कहा जाता हे कि बहू को सास को मां जैसा समझना चाहिए।वो कभी मां नही बन सकती।अब चलती हूं अलविदा।